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इस बात को लेकर अटकलें और आशंकाए बनी हुई हैं कि वैश्विक महामारी कब खत्म होगी और जब ख़त्म हो जाएगी तो दुनिया उसके बाद कैसी दिखेगी. अभी कुछ भी निश्चित नहीं है लेकिन सर्विलांस (निगरानी) में वृद्धि एक स्पष्ट परिणाम है.
वैश्विक महामारी ने दुनिया भर में सरकारों को लॉकडाउन लागू करने, आज़ादी पर पाबंदी लगाने और तेज़ी से सर्विलांस (निगरानी) बढ़ाने के लिए मजबूर किया. हालांकि, निगरानी महामारी के संसार के लिए नई घटना नहीं है, लेकिन इस बार कुछ नया हुआ है. 2016 के अमेरिकी चुनाव और ब्रेक्ज़िट, और इसके बाद कैंब्रिज एनालिटिका कांड, यही महत्वपूर्ण क्षण था जो प्राइवेसी के ख़ात्मे के साथ-साथ एआई (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) के ज़रिये स्पष्ट नियंत्रण भी उजागर करता है कि जो बड़ी हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर टेक्नोलॉजी कंपनियों का है. तर्क दिया जा सकता है कि मौलिक रूप से वह लोकतंत्र बदल चुका है, जिसे हम पहले जानते थे. आज कोरोनोवायरस और ताक़तवर टेक्नोलॉजी कंपनियों से जूझ रही दुनिया में, क्या सर्विलांस वाली अधिकारवादी सरकारें हमारी नई हकीकत होंगी?
महामारी के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक, अधिकारवादी शासन का उदय है. एक स्वाभाविक आशंका यह भी है कि सरकारों का नियंत्रण बढ़ेगा है और इससे लोकतांत्रिक शासन के लिए ख़तरा पैदा होने का तर्क दिया जा सकता है.
महामारी के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक, अधिकारवादी शासन का उदय है. एक स्वाभाविक आशंका यह भी है कि सरकारों का नियंत्रण बढ़ेगा है और इससे लोकतांत्रिक शासन के लिए ख़तरा पैदा होने का तर्क दिया जा सकता है. जैसा कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट में कहा था, विस्तारित सर्विलांस व्यवस्था सरकारों को लोगों को हिरासत में लेने और उनकी प्राइवेसी व आज़ादी का उल्लंघन करने का मौक़ा दे सकती है, और आने वाले समय में राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दे सकती है. जिन देशों ने शुरू में कोरोनावायरस के प्रति चीन के अधिकारवादी दृष्टिकोण की आलोचना की थी, उन्होंने अपने नागरिकों को ट्रैक करने के लिए लॉकडाउन लागू कर और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर उसी का अनुसरण किया. नियंत्रण के लिए एआई के इस्तेमाल में वृद्धि बेहद महत्वपूर्ण है. फ़ेस रिकॉग्निशन (चेहरे से पहचान), डिजिटल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग (DCT) और इम्युनिटी पासपोर्ट दुनिया भर की सरकारों द्वारा कथित रूप से जनता के स्वास्थ्य की हिफ़ाज़त करने के उपाय के रूप में लागू किए जा रहे हैं.
बात जब स्वास्थ्य की हो तो आम आदमी निजी जानकारी और डेटा देने में खुशी महसूस करता है, लेकिन क्या इससे महामारी के बाद की दुनिया में प्राइवेसी का व्यापार शुरू हो जाएगा? क्या ऐसे सौदे होने चाहिए? क्या सरकारें अपने नागरिकों को नियंत्रित करने के लिए अधिक एआई का इस्तेमाल करना शुरू कर देंगी? उदाहरण के लिए, महामारी से पहले के चीन को देखें तो अल्फ़्रेड एनजी के अनुसार, एक दिन में 68 लाख रिकॉर्ड के साथ नियंत्रण के लिए फ़ेस रिकॉग्निशन का इस्तेमाल एकदम आम था, अब महामारी में यह और बढ़ गया है, और इसका इस्तेमाल चीनी नागरिकों को शर्मिंदा करने और नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है. यूनाइटेड किंगडम, जिसे परंपरागत रूप से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में जाना जाता है, में दक्षिणपंथी विचारधारा में बढ़ोत्तरी देखी गई है और यह इसी महामारी के दौरान बढ़ी है. जैसा कि माइक बकले कहते हैं, ‘यहां तक कि महामारी के बीच भी, हम जानते हैं कि यह खत्म हो जाएगी, और राजनीति फिर से शुरू हो जाएगी और इस दौरान की चर्चा द्वारा इसे आकार दिया गया होगा.’ सरकारों के लिए स्थापित की गई नई टेक्नोलॉजी को नजरअंदाज़ न किया जाए. यह महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य के लिए चिंता करते हुए विनियमित टेक्नोलॉजी और व्यक्तिगत प्राइवेसी अधिकारों की अनिवार्यता को नजरअंदाज़ न किया जाए.
सर्विलांस और डेटा संग्रह में वृद्धि अब पूरी तरह सामान्य घटना है. इसके उदाहरणों में शामिल हैं सीसीटीवी, फेशियल रिकॉग्निशन, सोशल मीडिया सर्विलांस और अब कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए डिजिटल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग (DCT). इस पर विचार करना ज़रूरी है कि प्राइवेसी और सुरक्षा के मामले में इसके क्या नैतिक परिणाम होंगे.
सर्विलांस और डेटा संग्रह में वृद्धि अब पूरी तरह सामान्य घटना है. इसके उदाहरणों में शामिल हैं सीसीटीवी, फेशियल रिकॉग्निशन, सोशल मीडिया सर्विलांस और अब कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए डिजिटल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग (DCT). इस पर विचार करना ज़रूरी है कि प्राइवेसी और सुरक्षा के मामले में इसके क्या नैतिक परिणाम होंगे. सरकारें और कंपनियां जो डेटा एकत्र कर रही हैं, उसके साथ क्या कर रही हैं और अंतिम मक़सद क्या है? जैसा कि इवाना बार्टोलेट्टी ने अपनी हालिया किताब एन आर्टिफिशियल रिवोल्यूशन ऑन पावर, पॉलिटिक्स एंड एआई में लिखा है, ‘डेटा न्यूट्रल नहीं है, और यह तथ्य कि हम इसकी एक बड़ी मात्रा इकट्ठा कर रहे हैं, कई चुनौतियां लाता हैं – न सिर्फ़ प्राइवेसी की नज़र से बल्कि पावर डायनामिक्स (सत्ता के आयाम) की नज़र से.’
निश्चित रूप से डेटा बेहद कीमती हो गया है, बिना शक आज सबसे कीमती संसाधन है. इसने सीधे सिलिकॉन वैली में टेक्नोलॉजी कंपनियों की ताक़त में भारी बढ़ोत्तरी की है और लगातार दुनिया भर में राजनीति को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है. डोनाल्ड ट्रंप, जायर बोलसोनारो और रोड्रिगो डुटर्टे (और कई अन्य) के उदय के साथ-साथ दक्षिणपंथी विचारों की लोकप्रियता से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि राजनीतिक विमर्श को प्रभावित करने के लिए डेटा का इस्तेमाल और हेरफेर किया जा सकता है. सैंटियागो ज़बाला परंपरागत मीडिया के सोशल मीडिया में बदलाव के बारे में बताते हैं जिसने लोकलुभावन संदेशों को बेलगाम तरीके से फैलाना मुमकिन बनाया है, और जो राजनीतिक अभियानों और नेताओं को अपने संदेश देने के लिए ज़्यादा प्रभावशाली और सुविधाजनक तरीका है.
सोशल मीडिया और राजनीति के बीच सीक्रेट सर्विलांस और डेटा हार्वेस्टिंग से जुड़े संबंधों की पहचान करना ज़रूरी है, जिसने सीधे तौर पर भरोसा, व्यक्तिगत प्राइवेसी और स्वायत्तता पर असर डाला है.
सोशल मीडिया समाचारों, विचारों और सूचनाओं के अतिप्रवाह का स्रोत बन गया है, जिससे फ़ेक न्यूज़ और भरोसेमंद सच के बीच फ़र्क़ करना मुश्किल हो गया है. इसके अलावा, परंपरागत मीडिया स्रोतों के प्रति बड़े पैमाने पर अविश्वास पैदा किया जा रहा है. सोशल मीडिया और राजनीति के बीच सीक्रेट सर्विलांस और डेटा हार्वेस्टिंग से जुड़े संबंधों की पहचान करना ज़रूरी है, जिसने सीधे तौर पर भरोसा, व्यक्तिगत प्राइवेसी और स्वायत्तता पर असर डाला है.
हालांकि, पावर डायनामिक्स यानी सत्ता के आयाम में बदलाव के साथ मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावशाली गाइडलाइंस, जवाबदेही और डेटा की सुरक्षा की वकालत करने वाला नैतिकतावादी समुदाय बढ़ता जा रहा है. नैतिकता के उल्लंघन को रोकने और सीधे डेटा प्राइवेसी की रक्षा के लिए कई गाइडलाइंस और नीतियां लागू की गई हैं. उदाहरण के लिए 2018 में जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) कानून को यूरोपीय यूनियन द्वारा जारी किया गया था, और एआई को लेकर कई नैतिक दिशा-निर्देश जैसे कि एथिक्स गाइडलाइंस फ़ॉर ट्रस्टवर्दी एआई, एथिकली एलाइंड डिज़ाइन (IEEE) और बीजिंग एआई प्रिंसिपल्स को दुनिया भर में जारी किया गया है. ये सुरक्षित, ज़िम्मेदार और जवाबदेह टेक्नोलॉजी सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
इस बात को लेकर अटकलें और आशंकाए बनी हुई हैं कि वैश्विक महामारी कब खत्म होगी और जब ख़त्म हो जाएगी तो दुनिया उसके बाद कैसी दिखेगी. अभी कुछ भी निश्चित नहीं है लेकिन सर्विलांस (निगरानी) में वृद्धि एक स्पष्ट परिणाम है.
2020 एक ऐसा साल रहा है जिसने हर किसी के ज़िंदगी जीने के तरीके पर गहरा असर डाला है, साथ ही दुनिया भर में त्रासदी भी लाया है. इस बात को लेकर अटकलें और आशंकाए बनी हुई हैं कि वैश्विक महामारी कब खत्म होगी और जब ख़त्म हो जाएगी तो दुनिया उसके बाद कैसी दिखेगी. अभी कुछ भी निश्चित नहीं है लेकिन सर्विलांस (निगरानी) में वृद्धि एक स्पष्ट परिणाम है. बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां और सरकारों द्वारा डेटा और सर्विलांस का निरंतर इस्तेमाल निश्चित रूप से चिंता की बात है और इसे नजरअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए. हमें ख़ुद से सवाल पूछना चाहिए – हम भविष्य में समाज के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए नैतिकता के ज़्यादा उल्लंघनों के ख़तरे को कैसे कम कर सकते हैं?
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