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ऐसे में सवाल यह है कि क्या इमरान खान को सत्ता से हटाने के बाद विपक्षी एकजुटता कायम रहेगी. विभिन्न विचारों वाले राजनीतिक दलों की एकता का आधार क्या होगा. क्या होगा नई सरकार का भविष्य. इसके अतिरिक्त नई सरकार देश के आर्थिक मोर्चे को किस तरह से नियंत्रित करेगी.
#Pakistan Politics: इमरान ख़ान को सत्ता से बेदख़ल करने के बाद विपक्षी एकता पर उठे सवाल?
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में फ़ौरी तौर पर भले ही राजनीतिक अस्थिरता का दौर ख़त्म हो गया है, लेकिन नई सरकार के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां खड़ी हुई हैं. पाकिस्तान में संयुक्त विपक्ष ने इमरान सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया. नेशनल असेंबली में संख्या के खेल में इमरान खान पीछे हो गए. ऐसे में सवाल यह है कि क्या इमरान खान को सत्ता से हटाने के बाद विपक्षी एकजुटता कायम रहेगी. विभिन्न विचारों वाले राजनीतिक दलों की एकता का आधार क्या होगा. क्या होगा नई सरकार का भविष्य. इसके अतिरिक्त नई सरकार देश के आर्थिक मोर्चे को किस तरह से नियंत्रित करेगी. सत्ता हासिल करने के बाद वह लोगों के उम्मीद पर कैसे खरी उतरेगी. इसके साथ फ़ौज भी एक बड़ा फैक्टर है. फ़ौज के साथ उसका कैसे तालमेल होगा. अभी कई ऐसे सवाल हैं जो पाकिस्तान में नई सरकार के समक्ष खड़े हुए हैं.
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान में विपक्षी एकता ने इमरान खान की सरकार को सत्ता से बेदख़ल करने में कामयाबी हासिल की है. उन्होंने संदेश व्यक्त करते हुए कहा कि अब सवाल यह है कि क्या यह एकता लंबे समय तक कायम रहेगी. उन्होंने कहा कि विभिन्न विचारों वाली संयुक्त गठबंधन में एकता रह पाना बेहद मुश्किल है. सरकार गठन के बाद जिम्मेदारियों को लेकर यह कलह उत्पन्न हो सकती है. यहां से कलह की शुरुआत हो सकती है. सरकार के कामकाज को लेकर भी विभिन्न दलों में मतभेद कायम होंगे.
इमरान खान को हटाने के लिए सब एक मंच पर आ गए थे, लेकिन वह कितने दिनों तक साथ काम करने की स्थिति में होंगे यह बड़ा सवाल है
2- उन्होंने कहा कि संयुक्त विपक्ष में विभिन्न विचारों के राजनीतिक दल शामिल हैं. इसमें कई राजनीतिक दलों के बीच लंबे समय से मतभेद रहे हैं. हालांकि, इमरान खान को हटाने के लिए सब एक मंच पर आ गए थे, लेकिन वह कितने दिनों तक साथ काम करने की स्थिति में होंगे यह बड़ा सवाल है. उन्होंने कहा कि संयुक्त विपक्षी दलों में कुछ उग्र विचारों वाले राजनीतिक दल भी शामिल है, उनसे शाहबाज़ शरीफ़ कैसे तालमेल बैठाते हैं यह अहम सवाल होगा.
इस समय पाकिस्तान की माली हालत अच्छी नहीं है. अगर सरकार राजनीतिक दलों के तालमेल में उलझी रहेगी तो देश की ज्वलंत समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहेगी.
3- प्रो पंत ने कहा कि इस समय पाकिस्तान की माली हालत अच्छी नहीं है. अगर सरकार राजनीतिक दलों के तालमेल में उलझी रहेगी तो देश की ज्वलंत समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहेगी. नई सरकार का पूरा ध्यान सरकार चलाने में लगा रहेगा तो बाकी मोर्चे पर कैसे काम होगा. उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार के समक्ष ये चुनौतियां बड़ी होती है. अक्सर देखा गया है कि संसदीय व्यवस्था में गठबंधन सरकार देश हित में कोई कठोर फैसला लेने में कमजोर साबित होती हैं. पाकिस्तान में राजनीति हालात कुछ इसी तरह के हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान में कठोर फैसले की दरकार होगी. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या शाहबाज़ शरीफ़ की सरकार उन दबावों से मुक्त होकर फैसले ले पाएगी.
नेपाल और श्रीलंका की तरह पाकिस्तान के भी आर्थिक हालात है. इससे निपटना किसी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.
4- उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली का यह कार्यकाल बहुत लंबा नहीं है. नई सरकार को क़रीब डेढ़ साल बाद जनता के समक्ष अपने कामकाज़ का व्यौरा देना होगा. ऐसे समय में पाकिस्तान की नई सरकार क्या अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी. क्या तब तक संयुक्त विपक्षी एकता कायम रह पाएगी. सभी राजनीतिक दल एक मंच पर रह पाएंगे. यह सब भविष्य पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि मान लो यह एकता डेढ़ वर्ष तक कायम भी रहती है तो क्या वह पाकिस्तानी जनता के विश्वास पर खरे उतरते हैं. क्या नई सरकार बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों का समाधान निकालने में सफल होगी. उन्होंने कहा कि नेपाल और श्रीलंका की तरह पाकिस्तान के भी आर्थिक हालात है. इससे निपटना किसी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. पाकिस्तानी सेना की नई सरकार के क्रियाकलापों पर पैनी नज़र होगी. इसलिए सेना से तालमेल बैठाना भी उनके लिए बेहद ज़रूरी होगा. वरना सेना कभी भी तख्तापलट कर सकती है. उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान फ़ोज़ के लिए एकदम अनुकूल माहौल है.
यह आर्टिकल मूल रूप से जागरण में छप चुका है.
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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