Author : Cuihong Cai

Published on Nov 24, 2020 Updated 0 Hours ago

जब टेक्नोलॉजी किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण बन जाती है, तो सरकारों को टेक्नोलॉजी की प्रगति को खुलेपन और स्वायत्तता से संतुलित करना चाहिए.

टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म के माध्यम से एक नई डिजिटलाइज़्ड दुनिया का निर्माण

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (सूचना प्रौद्योगिकी) के तेज़ी से विकास के साथ दुनिया ने डिजिटल युग में प्रवेश किया. नए युग में डिजिटाइजेशन, नेटवर्किंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सबसे महत्वपूर्ण प्रगति हैं. नई टेक्नोलॉजी के विकास ने दुनिया भर के देशों को डिजिटल संसार के लिए नई प्रेरणा शक्ति और जिओ-पॉलिटिक्स व जिओ-इकोनॉमिक्स के लिए नए तरीके से ध्यान देने की ज़रूरत पैदा की है.

टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म

टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म (टेक्नोलॉजी पर केंद्रित व्यवस्था) सामाजिक संरचना, व्यवहार का तरीका और निर्णय लेने की प्रक्रिया के रुझान के बारे में बताता है जिसमें साइंस और टेक्नोलॉजी न केवल राजनीतिक शक्ति को वैधता दिलाने के नीतिगत लक्ष्यों और उपायों को हासिल करने के साधन हैं, बल्कि ऐसे लक्ष्य भी हैं जिन्हें हासिल करने की निरंतर कोशिश की जानी है. [1] 

टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म किसी देश के भीतर उत्पन्न होता है और इसकी सीमाओं से परे भी विस्तार पाता है. यह न केवल देशों और उद्यमों की रणनीतिक पसंद बन रहा है, बल्कि व्यक्तिगत कार्रवाइयों का अवचेतन मार्ग-निर्देशक भी बन रहा है. 

टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म किसी देश के भीतर उत्पन्न होता है और इसकी सीमाओं से परे भी विस्तार पाता है. यह न केवल देशों और उद्यमों की रणनीतिक पसंद बन रहा है, बल्कि व्यक्तिगत कार्रवाइयों का अवचेतन मार्ग-निर्देशक भी बन रहा है. यह बहुआयामी है और आर्थिक व सामाजिक कार्यों सहित तमाम अलग-अलग क्षेत्रों व मैदानों में प्रवेश कर रहा है.

विश्व व्यवस्था का पुनर्गठन साइंस और टेक्नोलॉजी के इर्द-गिर्द किया जा रहा है. साइंस और टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय रणनीतिक निर्णय लेने और बड़े देशों के बीच प्रतिस्पर्धा में प्रमुख स्थान रखते हैं. सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि अमेरिका-चीन के बीच किस तरह व्यापार का विवाद विकसित टेक्नोलॉजी और मुख्य़ एप्लीकेशन के लिए नियंत्रण और प्रतिस्पर्धा में बदल गया है.

राष्ट्रीय नीति के रुझान और प्रोपेगेंडा अक्सर जनता के सामाजिक मनोविज्ञान को दर्शाते हैं और निर्देशित करते हैं. उद्योग जगत भी डिजिटल परिवर्तन और इनोवेशन के महत्व को समझ चुका है. निवेश के शीर्ष हॉटस्पॉट साइंस और टेक्नोलॉजी से संबंधित हैं, जैसे कि इंटेलिजेंट मैन्युफ़ैक्चरिंग, सेमीकंडक्टर, कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (5G) और एआई.

इसलिए, टेक्नोलॉजी का विकास हर स्तर पर निर्णय लेने और मनोवैज्ञानिक सोच को प्रभावित करता है, और साइंस व टेक्नोलॉजी को हासिल करना वैश्विक सामाजिक ख़्वाहिश बन गया है. यहां यह भी बता दें कि, हालांकि टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म एक हद तक राष्ट्रीय रणनीतिक सोच बन चुका है, इसमें गुण-दोष पर आधारित निर्णय शामिल नहीं है. यह एक अपरिहार्य सामाजिक रुझान है, जो सामाजिक परिवर्तन और टेक्नोलॉजी विकास के युग में तेज़ी से महत्वपूर्ण बन गया है.

टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म के तहत नीति विकल्प: टेक-नेशनलिज़्म या टेक-ग्लोबलिज़्म?

मूल्य तटस्थ सामाजिक संरचना के रूप में, टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म दो नीतिगत विकल्प दे सकता है — टेक-नेशनलिज़्म (प्रौद्योगिकी-राष्ट्रवाद) और टेक-ग्लोबलिज़्म (प्रौद्योगिकी-भूमंडलीकरण) — लेकिन पसंद हर देश के लिए अलग-अलग हो सकती है. टेक-नेशनलिज़्म को ऐसे टेक्नोलॉजी इनोवेशन के रूप में वर्णित किया जाता है जिसका नेतृत्व सरकार करती है, जबकि घरेलू बाज़ार संरक्षित होता है या दूसरे देशों के लिए शर्तों के साथ खुला होता है, जिसका मक़सद भूमंडलीकरण को रोकना और राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देना है. दूसरी ओर, टेक-ग्लोबलिज़्म को ऐसे टेक्नोलॉजी इनोवेशन के रूप में वर्णित किया जाता है जिसका नेतृत्व विश्व की बाज़ार शक्तियों द्वारा किया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक हितों को बढ़ावा देना और अन्य देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना है. [2] 

समकालीन टेक-नेशनलिज़्म का अस्तित्व टेक-ग्लोबलिज़्म के साथ तुलना के संदर्भ में है, और दोनों के बीच का अंतर देश की आर्थिक प्रणाली, विकास स्तर और अंतरराष्ट्रीय वातावरण से नज़दीकी से जुड़ा है. इनोवेशन क्षमता वाले देश अलग-अलग स्तर पर टेक-नेशनलिज़्म की नीतियों को लागू करते हैं. लेकिन टेक-नेशनलिज़्म और टेक-ग्लोबलिज़्म इकलौता नीतिगत विकल्प नहीं हैं, और कोई देश विभिन्न क्षेत्रों के लिए किसी एक को या दूसरे को अपना सकता है. प्रेरणा, लक्ष्य, उपाय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव में अंतर के अनुसार समकालीन टेक-नेशनलिज़्म को दो किस्मों में बांटा जा सकता है — रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म और आक्रामक टेक-नेशनलिज़्म.

आक्रामक टेक-नेशनलिज़्म नीति अपनाने वाले देश का रणनीतिक मकसद प्रतिस्पर्धियों को दबाने और कुछ या सभी क्षेत्रों में अपनी प्रभावशाली स्थिति बनाए रखना है. इसका मक़सद टेक्नोलॉजी पर एकाधिकार और टेक्नोलॉजी निर्यात पर नियंत्रण बनाए रखना है. 

आक्रामक टेक-नेशनलिज़्म नीति अपनाने वाले देश का रणनीतिक मकसद प्रतिस्पर्धियों को दबाने और कुछ या सभी क्षेत्रों में अपनी प्रभावशाली स्थिति बनाए रखना है. इसका मक़सद टेक्नोलॉजी पर एकाधिकार और टेक्नोलॉजी निर्यात पर नियंत्रण बनाए रखना है. बाजार पहुंच में पाबंदी, नॉलेज ट्रांसफर पर पाबंदी, और व्यापक राजनीतिक व  राजनयिक साधनों के माध्यम से अन्य देशों के ख़िलाफ टेक्नोलॉजी दमन करना है. इसलिए, आक्रामक टेक-नेशनलिज़्म बुनियादी तौर पर टेक्नोलॉजी प्रभुत्व है, जो राजनीतिक प्रभुत्व से पैदा होता है.

रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म को अपनाने वाले देश की बुनियादी प्रेरणा आंतरिक संतुलन और आत्म-सुधार है — अपने अपेक्षाकृत अविकसित टेक्नोलॉजिकल वातावरण और अपने साइंस व टेक्नोलॉजी उद्योगों के विकास के स्तर को बदलने के लिए, और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के साथ चलना है. यह मुख्य़ रूप से राष्ट्रीय वैज्ञानिक और टेक्नोलॉजी इनोवेशन को बढ़ावा देता है और अनुसंधान, विकास, फंडिंग और मददगार नीतियों के माध्यम से इन क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देता है.

वैश्विक शक्तियां और उनका टेक्नोलॉजी झुकाव

तमाम देश अलग-अलग समय में एक-दूसरे के प्रति अलग-अलग नीतियां अपनाते हैं. चार मुख्य़ अंतरराष्ट्रीय शक्तियों — अमेरिका, यूरोपियन यूनियन (ईयू), चीन और भारत की साइंस व टेक्नोलॉजी विकास की रणनीतिक संरचना और स्थिति — को उनकी नीति के चुनाव से समझा जा सकता है — एकांगी प्रभुत्व के साथ आक्रामक टेक-नेशनलिज़्म (यूएस), रक्षात्मक बहुपक्षीय सहयोग के साथ टेक-नेशनलिज़्म (ईयू), स्वतंत्रता और सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म (चीन), और एकांगी सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म (भारत).

अमेरिका: एकांगी प्रभुत्ववाद के साथ आक्रामक टेक-नेशनलिज़्म

साइंस और टेक्नोलॉजी में अपनी अग्रणी स्थिति के कारण अमेरिका का रणनीतिक लक्ष्य अपनी मौजूदा बढ़त को बनाए रखना है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मौजूदा हितों का ढांचा टूटने न पाए, और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली व औद्योगिक चेन में अपने अतिरिक्त लाभों को बनाए रखने के लिए ट्रंप सरकार की ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ रणनीति को मिलाकर, अमेरिका की समग्र नीति को एकतरफ़ा प्रभुत्वशाली आक्रामक टेक-नेशनलिज़्म कहा जा सकता है.

अमेरिका ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से संबंधित नीति निर्धारण में, लगातार अहमियत के अंतर और राष्ट्र-हित के विरोधाभासों पर ज़ोर दिया है, और वैज्ञानिक व तकनीकी मुद्दों का राजनीतिकरण किया है. अमेरिकी सरकार ने देश के प्रमुख टेलीकम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजिकल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए क्लीन नेटवर्क योजना का प्रस्ताव पेश किया है. [3]

अमेरिका ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से संबंधित नीति निर्धारण में, लगातार अहमियत के अंतर और राष्ट्र-हित के विरोधाभासों पर ज़ोर दिया है, और वैज्ञानिक व तकनीकी मुद्दों का राजनीतिकरण किया है. अमेरिकी सरकार ने देश के प्रमुख टेलीकम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजिकल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए क्लीन नेटवर्क योजना का प्रस्ताव पेश किया 

इसमें पांच नई चीज़ों का प्रयास शामिल किया गया है— क्लीन कैरियर जिससे कि “यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग़ैरभरोसेमंद पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के कैरियर अमेरिकी टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क से जुड़े न हों”; क्लीन स्टोर ताकि “यूएस मोबाइल एप स्टोर पर ग़ैरभरोसेमंद एप्लिकेशन न हों”; क्लीन एप्स “ग़ैरभरोसेमंद पीआरसी स्मार्टफोन निर्माताओं को प्री-इंस्टाल करने- अन्यथा उनके एप स्टोर पर डाउनलोड किए गए जाने के लिए एप्स उपलब्ध कराने से रोकने के लिए एप्स पर भरोसेमंद एप्स उपलब्ध कराना”; क्लीन क्लाउड “अमेरिकी नागरिकों की सबसे संवेदनशील निजी जानकारी और व्यवसायों’ की सबसे मूल्यवान बौद्धिक संपदा को बचाने के लिए, जिसमें कोविड-19 वैक्सीन रिसर्च शामिल है, जो अलीबाबा (Alibaba), बाइड्यू (Baidu), और टेंसेंट (Tencent) जैसी कंपनियों के माध्यम से हमारे विदेशी सहयोगियों के लिए सुलभ क्लाउड-आधारित सिस्टम पर स्टोर और प्रोसेस की जाती है; और क्लीन केबल “सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे देश को विश्व इंटरनेट से जोड़ने वाले समुद्र के अंदर के केबल पीआरसी द्वारा रास्ता बदलकर हाइपर स्केल पर खुफ़िया जानकारी न जुटा रहे हों.”

इस तरह की नीतिगत प्रवृत्तियां चीन के साथ संबंधों की नींव को ख़त्म कर रही हैं और करती रहेंगी, जो विश्व अर्थव्यवस्था के सतत विकास की रफ़्तार को कम करेगा और वैश्विक रणनीतिक स्थिरता पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालेगा.

यूरोपियन यूनियन: बहुपक्षीय सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म

रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म के साथ बहुपक्षीय सहयोग का अर्थ है बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से टेक्नोलॉजी इनोवेशन और औद्योगीकरण का विकास करते रहना. यूरोपियन यूनियन मैकेनिज़्म लंबे समय से सरकारों के बीच बहुपक्षीय सहयोग का उत्पाद रहा है. टेक्नोलॉजी सप्लाई और वैल्यू चेन के मामले में यूरोपियन यूनियन लंबे समय अमेरिका से पीछे और विकासशील देशों से आगे रहा है. यूरोपियन यूनियन की टेक्नोलॉजी नीति का लक्ष्य बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से सदस्य देशों के लिए उन्नत, सुरक्षित और विश्वसनीय टेक्नोलॉजी नीतियां मुहैया कराना है. इसलिए, यूरोपियन यूनियन की नीति को बहुपक्षीय सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म कहा जा सकता है.

इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए, यूरोपियन यूनियन पूरी यूनियन के लिए यूनियन के भीतर साझेदारी और सहयोग की वकालत करता रहा है, जिससे इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) मानकों का एकीकृत सेट हासिल किया जा सके, [4] अमेरिका के विपरीत, जिसने सुरक्षा कारणों से हुआवेई के इक्विपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया. [5] यूरोपियन यूनियन ने यूरोपियन नेटवर्क और इन्फॉर्मेशन और सिक्योरिटी एजेंसी को 5G निर्माण की निगरानी का ज़िम्मा सौंप रखा है, जिसे 2019 में यूरोपियन यूनियन साइबर सुरक्षा कानून के तहत स्थापित किया गया था. यह एजेंसी सुरक्षा और उद्देश्य के मानकों के आधार पर आपूर्तिकर्ताओं का जोखिम मूल्यांकन करती है.

देशों को 5G नेटवर्क के बुनियादी ढांचे के आपूर्तिकर्ताओं का जोखिम मूल्यांकन करना चाहिए. यह आपूर्तिकर्ताओं की विविधता सुनिश्चित करने के लिए ख़ास योजनाओं को भी पेश करता है, जिसमें हुआवेई और अन्य आपूर्तिकर्ताओं को यूरोपियन यूनियन के बाज़ार में प्रवेश करने से रोकने का कोई ज़िक्र नहीं है.

29 जनवरी 2020 को यूरोपियन यूनियन ने ‘ईयू में सुरक्षित 5G लागू करना — यूरोपियन यूनियन के टूलबॉक्स को लागू करने’ की रणनीति जारी की [6], जिसका मक़सद क्षेत्रीय स्तर पर सदस्य देशों द्वारा सामना किए जाने वाले साइबर सुरक्षा जोख़िमों को कम करना है. इसमें ज़ोर दिया गया है कि देशों को 5G नेटवर्क के बुनियादी ढांचे के आपूर्तिकर्ताओं का जोखिम मूल्यांकन करना चाहिए. यह आपूर्तिकर्ताओं की विविधता सुनिश्चित करने के लिए ख़ास योजनाओं को भी पेश करता है, जिसमें हुआवेई और अन्य आपूर्तिकर्ताओं को यूरोपियन यूनियन के बाज़ार में प्रवेश करने से रोकने का कोई ज़िक्र नहीं है.

चीन: स्वतंत्रता और सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म

स्वतंत्रता और सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म का अर्थ है स्वतंत्र इनोवेशन के साथ-साथ बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से टेक्नोलॉजी की दौड़ में बने रहना. चीन एक बड़े विकासशील देश के रूप में ऐतिहासिक रूप से पिछड़ी तकनीक के साथ राष्ट्रीय कायाकल्प के बड़े लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है. इसके साथ ही, चीन दूसरों पर निर्भर नहीं करता या नियंत्रित नहीं होता, और इसलिए अन्य देशों के साथ सहयोग को महत्व देते हुए कोर टेक्नोलॉजीज़ के स्वतंत्र अनुसंधान और विकास को पूरे ज़ोर से बढ़ावा देता है. चीन ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसे विभिन्न बहुपक्षीय प्लेटफार्मों पर टेक्नोलॉजी सहयोग को बढ़ावा दे रहा है. चीन अमेरिका और यूरोपियन यूनियन सहित विकसित देशों के साथ तकनीकी सहयोग करता है, और विदेशी टेक्नोलॉजिकल निवेश का स्वागत करता है जहां तक वह चीनी विनियमन को पूरा करते हैं.

चीन ने चीनी चरित्र के साथ इन्फॉर्मेशन इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के निर्माण पर ज़ोर देता है. ‘मेड-इन-चाइना 2025’ रणनीतिक योजना [7], में, सरकार ने बताया कि देश अभी भी औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में है और यहां विकसित देशों की तुलना में बड़ा अंतर है. इसलिए मेड-इन-चाइना से डिज़ाइन-इन-चाइना में बदलाव को हासिल करने के लिए स्थानीय इक्विपमेंट और ब्रांड्स पर अधिक भरोसा करने की बात कही गई है. चीन की 5G टेक्नोलॉजी और मोबाइल नेटवर्क सुविधाओं ने विश्व बाज़ार में प्रवेश करना शुरू किया, और चीन के स्टैंडर्ड्स को धीरे-धीरे दुनिया के कई देशों द्वारा स्वीकार किया जाने लगा.

भारत: एकांगी सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म

एकांगी सहयोग के साथ रक्षात्मक टेक-नेशनलिज़्म का अर्थ है कुछ देशों के साथ चुनिंदा सहयोग के माध्यम से टेक्नोलॉजी प्रतिस्पर्धा में बने रहना, जबकि दूसरों के साथ सहयोग को इरादतन दबा देना. भले ही भारत की टेक्नोलॉजी नीति को गुटनिरपेक्षता के इतिहास से आकार मिला है और अपनी इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी उद्योग की सुरक्षा को बहुत महत्व देती है, फिर भी यह अभी भी पश्चिमी देशों का अनुगामी है क्योंकि यह पश्चिमी टेक्नोलॉजिकल  इनोवेशन की प्रगति को साझा करने की उम्मीद करता है. भारत आईटी इंडस्ट्री सर्विसेज़ का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है. [8] 

विदेशी कंपनियों के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में, भारत चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानते हुए अमेरिका की तरफ़दारी करता है. भारत और अमेरिका ने एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी बनाई है जो “उनके साझा मूल्यों, लोकतांत्रिक परंपराओं, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों व साइबरस्पेस के लिए साझा सोच और सिद्धांतों को दर्शाती है.”[9]

भारत ने अपने आईटी उद्योग की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, टेक्नोलॉजी और घरेलू कंपनियों के घटकों को प्राथमिकता देते हुए प्रमुख इन्फॉर्मेशन इन्फ़्रास्ट्रक्चर में सुरक्षात्मक और सहायक उपाय किए हैं. भारत स्वतंत्र रूप से पूरा 5G  सॉल्यूशन विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, और कुछ सप्लायर्स ने कामयाबी की घोषणा की है. 

भारत ने अपने आईटी उद्योग की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, टेक्नोलॉजी और घरेलू कंपनियों के घटकों को प्राथमिकता देते हुए प्रमुख इन्फॉर्मेशन इन्फ़्रास्ट्रक्चर में सुरक्षात्मक और सहायक उपाय किए हैं. भारत स्वतंत्र रूप से पूरा 5G  सॉल्यूशन विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, और कुछ सप्लायर्स ने कामयाबी की घोषणा की है. [10] साइंस और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा और चीन व भारत के बीच सैन्य संघर्ष ने भारत को चीनी उद्यमों के प्रति सतर्क कर दिया है. भारत ने चीनी ऐप्स पर कई बार प्रतिबंध लगाया है, और इस समय 200 से अधिक एप्स प्रतिबंधित हैं.” [11]

संबंध-विच्छेद से एक-दूसरे पर आश्रित डिजिटल समुदाय बनना

एक संबंध-विच्छेद करती दुनिया उभर रही है. सरकारें टेक्नोलॉजी पाबंदी और रुकावटों, टेक्निकल सुरक्षा शर्तों, घरेलू टेक्निकल मानकों, डेटा लोकलाइजेशन शर्तें, निर्यात नियंत्रण, शुल्क, व्यापार समझौतों, निवेश प्रतिबंधों और स्वामित्व प्रतिबंधों जैसे उपायों की एक श्रृंखला के माध्यम से विदेशी आईसीटी को प्रतिबंधित और नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, ये उपाय टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म के आधार पर तर्कसंगत विकल्प हो सकते हैं, लेकिन उनके नतीजे कल्पना से परे हो सकते हैं, जैसे कि बाज़ार में अव्यवस्था और इनोवेशन व प्रतिस्पर्धा में रुकावट पड़ सकती है, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और व्यापार व औद्योगिक प्रतिस्पर्धा पर नकारात्मक असर हो सकता है. अंततः आईसीटी व्यापार और राजनयिक संबंधों को नुकसान हो सकता है, जिसके कारण एक विकेंद्रीकृत, आंशिक या पूरी तरह से संबंध-विच्छेद टेक्नोलॉजिकल और आर्थिक वातावरण बन सकता है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक विकास को खतरा हो सकता है, और यह शीत युद्ध के बाद से एक तरह से अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को कमज़ोर कर देगा.

डिजिटल टेक्नोलॉजी का निरंतर विकास डिजिटल कम्युनिटी की परस्पर-निर्भरता को तय करता है. जब टेक्नोलॉजी किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है, सरकार को टेक-नेशनलिज़्म और टेक्नोलॉजिकल आधिपत्य के लक्ष्य को सीमित करते हुए टेक्नोलॉजी की प्रगति में खुलेपन और स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाना चाहिए, टेक्नोलॉजी में राष्ट्रीय राजनीति के हस्तक्षेप को कम करना चाहिए, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों पर दबाव डालने से बचना चाहिए, और उद्यमों व कंपनियों के बाजार संचालन में बहुत ज़्यादा दख़लअंदाज़ी से बचना चाहिए.

जब टेक्नोलॉजी किसी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है, सरकार को टेक-नेशनलिज़्म और टेक्नोलॉजिकल आधिपत्य के लक्ष्य को सीमित करते हुए टेक्नोलॉजी की प्रगति में खुलेपन और स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाना चाहिए

जैसा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 दुनिया में सबसे गंभीर जन स्वास्थ्य इमरजेंसी बन गई है, कुशलता से महामारी की रोकथाम और डेटा संरक्षण के बीच अंतर्विरोध और सहयोगात्मक महामारी-रोधी अनुसंधान और राजनीतिक संघर्षों के बीच तेजी से महत्व हासिल कर रहे हैं. सिर्फ़ टेक-प्रभुत्व और टेक-नेशनलिज़्म के नकारात्मक असर को सीमित करके और टेक्नोलॉजी में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देकर हम आर्थिक व सामाजिक विकास को बेहतर ढंग से बढ़ावा दे सकते हैं और मानव कल्याण में सुधार कर सकते हैं. यह टेक्नोलॉजी सेंटरिज़्म का आवश्यक और अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.


Endnotes

[1] Cuihong Cai, “The Trend and Motivation of Technology Centrism”, People’s Tribune, No. 35, 2019, pp. 40-43.

[2] Xiangkui Yao and Richard P. Suttmeier, “China’s Post-WTO Technology Policy-Standards, Software, and the Changing Nature of Techno-Nationalism”, NBR Special Report No. 7, May 1, 2004.

[3] Announcing the Expansion of the Clean Network to Safeguard America’s Assets”, August 5, 2020.

[4] Regulation (EU) 2019/881 of THE European Parliament and of The Council”, EUR-LEX, April 17, 2019.

[5] Cheng Ting-Fang and Lauly Li, “Huawei enters a new world: How the US ban will affect global tech”, Nikkei Asia, September 14, 2020.

[6] European Commission: Secure 5G deployment in the EU – Implementing the EU toolbox”, EUR-LEX, January 29, 2020.

[7] State Council of China, “Notice on Releasing Made-in-China-2025”, May 8, 2015.

[8] PTI, “India ranked top exporter of ICT services: UN report,” The Hindu, June 16, 2017.

[9] Framework for the U.S.-India Cyber Relationship”, signed on August 30, 2016.

[10] Monit Khanna, “Reliance Jio To Launch Made In India 5G Solution By Early Next Year”, Times of India, July 16, 2020.

[11] Monit Khanna, “Chinese App Ban: Indian Government May Ban PUBG, 275 More Chinese Apps”, Times of India, July 27, 2020.

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